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Showing posts from December, 2018

मातृ स्पर्श

मातृ स्पर्श ... माता के स्पर्श मात्र से बचपन में किलकारी है बालक की मुस्कान मनोहर हर माता को प्यारी है ! अमीर गरीब माता नहीं होती माता केवल माता है सम भाव सागर ममता का बहता जहां निरंतर है ! माता के एक स्पर्श में सारे जंग का नेह भरा माता के पावन आँचल में तरल रूप मात्रत्व बहा ! नर हो नारी हो या नारायण सब का हित माता चाहे माता की सुखद गोद के खातिर नारायण धरा उतर आये ! डा इन्दिरा गुप्ता स्व रचित

दिल

दिल दिल आज बेकरार लगता है तेरी धड़कन का तलब गार लगता है ! टूटे ही नहीं अब तलक रोये भी बहुत जाने क्यूँ इश्क गुनहगार लगता है ! तेरी तलाश मैं हम खुद को खो बैठे जिंदगी का सफर बेकार सा अब लगता है ! आसार नहीं दिख रहे बरसात के बादलों बारिश का कतरा गिरिफ्तार कहीं लगता है ! दिल चीर कर दिखाये उनको क्या प्यार अपना प्यार पर उनको एतबार नहीं लगता है ! डा इन्दिरा गुप्ता ✍

नारी अरि मर्दन तू

अरि मर्दन है  तू ... नारी तू अरि चंडिका तू शक्ति रूपा तू भक्ति रूपा ! भू डोलन तू आंदोलन तू भय हारिणि अवलोकन तू ! नर्तन तू गायन है तू शंख नाद संग ताण्डव है तू ! खण्ड अखण्ड नव नूतन है तू वंदन है अभिनंदन है तू ! रणचण्डी मन मंडन है तू तीनों भुबनेश्वर करें आरती भव भंजन अरि मर्दन है तू ! डा इन्दिरा गुप्ता स्व रचित