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क्षणिकायें

क्षणिकायें ...

                🌷 
मन आज व्याकुल पंछी सा
यादों संग उड़ता जाये
ख्वाब नहीं तीखी पीड़ा है
क्या क्या आज कुरेदा जाये !
                  🌷
व्यथा कलम जब चले कागज पर
सिर्फ अश्क ही लिख पाये
गड मड हो जाये भाव कलम के
मन चातक सा चिचियाये  !
                  🌷
सागर तीर पसरा सन्नाटा
चाँद उनिंदा हो जाये
आये नहीं कोई भी आहट
रात शबनमी अश्क बहाये !
                   🌷
भोर भये तक रही अकेली
इधर अकेला चाँद
दोनों ओर ही रही बेबसी
कब तक बैठे दिल को थाम !
                   🌷
होती जो आहट धीरे से
हम भी धीमे से मुस्काते
इसी बहाने से ही साहब
यादों में वो आ जाते !

डा .इन्दिरा .✍


Comments

  1. बेहतरीन रचना इंदिरा जी

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  2. वाह !! एहसासों को अलग अलग पहलूओं से अभिव्यक्त करती उम्दा क्षणिकाएं।
    बहुत सुंदर मीता।

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" ,बुधवार 1 अगस्त 2018 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in परआप भी आइएगा ....धन्यवाद!



    ReplyDelete
  4. बहुत ही लाजवाब
    एक से बढकर एक
    आप कविता की हर विधा में कुशल हैं ...नमन

    ReplyDelete
  5. वाह दीदी जी बेमिसाल पंक्तियाँ
    अद्भुत क्षणिकएं 👌
    सादर नमन शुभ रात्रि

    ReplyDelete

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