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आहट

आमद ....

कोई आमद नही होती
ना साँकल ही बजती है
शायद आ रहा कोई
एक आहट सी  होती है !

कहीं नगमा बजे कोई
कहीं कोई गीत लहराये
नहीं गाता कहीं कोई 
मगर सरगम सी बजती है !

सूना हुआ आंगन
हुए जज्बात सूने से
हवा सहमी सी बहती है
हिले मन पात खड्के से !

एक सन्नाटा सा पसरा है
लब खामोश है कब से
खामोशी का आलम है
दिल धड़के है जोरों से !

कोई आ जाये ऐसे मैं
जरा आहट ही हो जाये
आये जज्बात काबू
ज़रा राहत सी हो जाये !

डा .इन्दिरा .✍

Comments

  1. जरा ई आहट हो तो मन सोचता है
    कौन आया इन सुने दरिचों पे
    कोई है या फिर हवाओं की शरारत है . …
    सुंदर रचना ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया मीता ....
      जरा सी आहट होती है तो मन सोचता है .....सही पकड़े है

      Delete
  2. खामोशियों की आहट
    मेरी धडकनें बढाये
    दिल चाहता है ऐसे में
    कोई अपना आये

    बहुत सही रचना सखी
    क्या खूब एहसास बयान किये . ..शानदार

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया ...लाजवाब और सटीक पंक्तियाँ मेरे काव्य की सही व्याख्या करती ! ...आभार सखी

      Delete
  3. कोई आ जाये ऐसे मैं
    जरा आहट ही हो जाये
    आये जज्बात काबू
    ज़रा राहत सी हो जाये ! वाह बेहतरीन रचना इंदिरा जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया ...जज्बात समझने का अनुराधा जी

      Delete
  4. आई याद भीतर उनकी सूरत को निहार लिया हमने
    एक उमीद पे आहट की दिन गुजार दिया हमने -
    दो मीठे बोल ---बोल के बुद्धू बना गये
    झूठे वादे पे उनके एतबार किया हमने !!!!!!!!!!!!
    सुंदर रचना !!!!!!!!!आशा भरी इस आहट के क्या कहने प्रिय इंदिरा जी-- बहुत खास होते है इन्तजार के ये पल !!!!!सस्नेह ---

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    Replies
    1. प्रिय रेनू जी बहुत खूब...👌👌👌👌👌👌👌👌
      आपकी चंद पंक्तियों ने मेरे काव्य का विस्तार किया
      शब्दों की झांझर पहना कर रचना का शृंगार किया !
      आभार प्रिय

      Delete
  5. अतुल्य आभार काव्य आत्मा तक पहुंचने का bro

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