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गुरु कृपा

गुरु कृपा ....

गुरु कृपा अति कीमती
ना साधारण मान
प्रलय और निर्माण में
पलते एक समान !
गुरु कृपा एक सुखद यात्रा
निर्माण से निर्वाण
गुरु नाम तो लक्ष पूर्ण है
इंसा में  भगवान !
गुरु कृपा एक गंग है
जीवन का आधार
संस्कार .नीति .और नेह का
अथाह भरा भंडार !
कंकर को शंकर करें
कंकर को महादेव
महादेव त्री नेत्र करें
गुरु वाणी में गुंजित वेद !
गुरु बिना ना सदगति
ना जनम सुकारथ जाय
सच्चा गुरु जो मिल गया
नर नारायण हुई जाय !

डा .इन्दिरा  .✍

Comments

  1. बहुत ही सार्थक और विचारणीय रचना। विषय ,भाव,शब्द चयन सब बेहद खूबसूरत है। बहुत अच्छा लिखा।

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