जीवन / दन्त कथा ....
जीवन एक दन्त कथा सा
जाने कितने सोपान लिये
एक अध्याय खत्म नहीं होता
दूजा अध्याय खड़ा मिले !
दोधारी तलवार पे जैसे
चलना है चलना पड़ता
चाहे जितने घायल हो
कदमों को रखना पड़ता !
कंटको का जाल बिछा है
समय शिकारी घात लिये
श्वासों का मेला सा जीवन
हाट सजे तक चला चले !
डा इन्दिरा ✍
बहुत ही सकारात्मक प्रेरणा देती रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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