Skip to main content

माँ का कर्ज

माँ का कर्ज .....

जिस ममता के खातिर श्यामा
बार बार अवतार धरो
मात यशोदा से भी पहले
जन्म भूमि का उद्धार करो !

आओ पुनि  धरा पे कान्हा 
माँ का कर्ज चुका देना
अरिहँत अरिहँता बन कर
अरियो को सबक सिखा देना !

नारायण कहलाये हो तो
नारायण से कर्म करो
त्राहि त्राहि हो रही धरा पर
उठो जनार्दन उठ दोडो !

बंसी की मधुर धुन नाही
अब गांडीव का घर्षण हो
चले सुदर्शन सत्य प्रतीक सा
माँ भारती हित तर्पण हो !

हे मधुसूदन हे करुणाकर
करुण रस क्या सूख गया
गज रक्षा हित दौड़ पड़े थे
भक्त का दुख देखा ना गया !

भारत भारती द्रवित नयन से
एकटक तुम्हें निहार रही
मातृ भूमि का कर्ज उतारो
आर्त सुनो  हे कन्हाई !

डा इन्दिरा गुप्ता ✍





Comments

  1. भारत भारती द्रवित नयन से
    एकटक तुम्हें निहार रही
    मातृ भूमि का कर्ज उतारो
    आर्त सुनो हे कन्हाई ! बेहतरीन रचना

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वीरांगना सूजा कँवर राजपुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई

वीर बहुटी वीरांगना सूजा कँवर राज पुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई ..✊ सन 1857 ----1902  काल जीवन पथ था सूजा कँवर  राज पुरोहित का ! मारवाड़ की ऐसी वीरांगना जिसने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्र...

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे सम्वत 1363(सन 1311) मंगल वार  वैशाख सुदी 5 को दहिया हीरा दे का पति जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के पारितोषिक  स्वरूप मिले ...

वीरांगना रानी द्रौपदी

वीरांगना रानी द्रौपदी धार क्षेत्र क्राँति की सूत्रधार .! रानी द्रौपदी निसंदेह ही एक प्रसिद्ध वीरांगना हुई है जिनके बारे मैं लोगों को बहुत कम जानकारी है ! छोटी से रियासत की ...