Skip to main content

सीख लिया

पंख नोचते है शुभ चिंतक
फिर भी उड़ना सीख लिया
मन में अपने आह दवा कर
वाह से जुड़ना सीख लिया !

कर विहीन कर पतवारौ से
नाविक थाम चला नय्या
साहस का चप्पू  लेकर
सागर से लड़ना सीख लिया !

में समर्थ मन मतवाला हूँ
बिना पंख  के परवान चढू
अरि के मद का दोहन कर दूँ
नीले नभ परवाज़ भरूं !

भ्रमित नहीं तनि भी मेरा मन
अखंड अभीत दृढ़ भाव धरु
खण्ड विखण्ड करु बाधाये
नव निकोर  भवितव्य रचू !

डा इन्दिरा .✍

Comments

  1. ऊर्जा से भरपूर संघर्ष का अप्रतिम आह्वान।

    ReplyDelete
  2. वाह!!बहुत खूब!!

    ReplyDelete
  3. हौसला बढाती सुंदर रचना मीता ।

    ReplyDelete
  4. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 23 नवम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1225 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    ReplyDelete
  5. बहुत ही प्रेरक....
    लाजवाब रचना...

    ReplyDelete
  6. वाह्ह्ह... ओजपूर्ण सुंदर रचना 👌👌

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर ओजपूर्ण रचना

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वीरांगना सूजा कँवर राजपुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई

वीर बहुटी वीरांगना सूजा कँवर राज पुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई ..✊ सन 1857 ----1902  काल जीवन पथ था सूजा कँवर  राज पुरोहित का ! मारवाड़ की ऐसी वीरांगना जिसने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्र...

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे सम्वत 1363(सन 1311) मंगल वार  वैशाख सुदी 5 को दहिया हीरा दे का पति जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के पारितोषिक  स्वरूप मिले ...

वीरांगना रानी द्रौपदी

वीरांगना रानी द्रौपदी धार क्षेत्र क्राँति की सूत्रधार .! रानी द्रौपदी निसंदेह ही एक प्रसिद्ध वीरांगना हुई है जिनके बारे मैं लोगों को बहुत कम जानकारी है ! छोटी से रियासत की ...