करार ....
दिल कुछ बेकरार लगता हैं
करारे दिल का तलब गार लगता हैं !
टूटें ही नही आज तलक , रोए भी बहुत हैं
मेरा इश्क ही मुझे , गुनहगार लगता हैं !
तेरी इक तलाश मेँ , खुदी को खो दिया ,
खुदी की तलाश मेंं दिल बेकरार लगता हैं !
आसार नही दिख रहे आँखो मेंं बादलो के ,
बारिश हैं गिरिफ़्तार, बादलो से लगता हैं !
किसको दिखाये यारो करार हैं या बेकरारी
दिल दोनो का ही गुनहगार लगता हैं !
डॉ इन्दिरा गुप्ता
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