यलगार करके देख ...
फिजाये क्यूँ बदली है 
हवा का रुख क्यों धीमा है 
कलम तलवार सी कर ले 
जरा  यलगार करके देख ! 
आज भी ताब  है तुझमें 
मोती सी आभ है तुझमें 
खम ठोंक आगे बढ़ 
अभी बारूद है तुझमें ! 
कभी पलटे नहीं पीछे 
तेरी फितरत रही ये तो 
जरा सी आंधी क्या आई 
कदम पीछे लगे रखने ! 
जरा ठहरो हिय झांको 
समंदर ले रहा लहरें 
सिपाही हो कलम के तुम 
मसि  सैलाब बहने दो ! 
डा .इन्दिरा .✍
 
 
फिजाये क्यूँ बदली है
ReplyDeleteहवा का रुख क्यों धीमा है
कलम तलवार सी कर ले
जरा यलगार करके देख !
बेहतरीन रचना इंदिरा जी कलम की ताकत को सही रूप दिया
अति आभार
Deleteबहुत शानदार रचना ....बेहद दिलकश अंदाज 👌👌👌
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