खुशबू जैसे लोग मिले अफसानों मैं
एक पुराना खत जो खुला अनजाने मैं ।
कतरा कतरा लफ्ज बह रहे थे अंदर
स्याही अब तक गीली थी अफसानों में ।
कोई आहट आज भी दस्तक देती है
जब भी फुर्सत होती है वीरानों मैं ।
अन्दर अन्दर धीरे धीरे कुछ दरक रहा
हर लम्हा खटका करता अनजाने मैं ।
डा इन्दिरा✍️
वाह!!बहुत खूब!!
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteआभार
Deleteवाह्ह...बहुत खूब...भावपूर्ण सुंदर रचना👌
ReplyDeleteशुक्रिया सखी
Deleteवाह मीता उम्दा मर्म छू गई आपकी शायरी।
ReplyDeleteखुली जो किताबें सुखी कलियाँ फड़फड़ाई
ओ भुले बिसरे अफसाने फिर तेरी याद आई।
वाह वाह प्रतिक्रिया मीता ...अंदर तक मन को भाई
Deleteसुखी कलियाँ महकी यादों ने ली अंगड़ाई !
अति सुंदर पंक्तियों की प्रतिक्रिया मीता आभार
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 8 मार्च 2018 को प्रकाशनार्थ 965 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
सम्मान के लिये आभार
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteमन की गहराई से निकल कर
सीधे कागज़ पर उतर आई
लाजवाब
वाह वाह प्रतिक्रिया
Deleteजीर्ण हो गया खिलोना लो
ReplyDeleteशुरु हुवा अब दरकना
हर अंग हुवा है जीर्ण
पुराने वस्त्रो का फटना
पत्ता पड़ा पीला पेड का
अब शुरु हो गया टूटना
जीर्ण हो गया खिलोना लो
शुरु हो गया आज दरकना
अति सुन्दर प्रतिक्रिया चाचा जी
Deleteदरकते है वही जो सुख जाते है
बात तब है जब सुख कर भी हिय महकाते है !
नमन
जीर्ण हो गया खिलोना लो
ReplyDeleteशुरु हुवा अब दरकना
हर अंग हुवा है जीर्ण
पुराने वस्त्रो का फटना
पत्ता पड़ा पीला पेड का
अब शुरु हो गया टूटना
जीर्ण हो गया खिलोना लो
शुरु हो गया आज दरकना
एहसासों का सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteशुक्रिया पम्मी जी अभिनंदन आपका काव्य को आशीष दिया 🙏
Deleteआदरणीया, आपकी यह रचना अहसासों को कहीं छू सी गई।शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसादर ।
🙏अति आभार
Deleteएहसासों को छू जाना यानी लेखन का सार्थक होना !
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteमन की गहराई से निकल कर
अति aa.हार काव्य भाव को छू लिया
Deleteसार्थक हो गया सार
बहुत ही सुन्दर...
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 10/04/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
अतुल्य आभार मेरे लेखन को सम्मान देने के लिये ! 🙏
Deleteभीतरी अनुभूतियों से सजी रचना !! सस्नेह ----
ReplyDeleteधन्यवाद गहरे उतरने के लिये !
Deleteगहरे एहसास का शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या बात है.. सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteख़तों की खुशबू कभी पुरानी नहीं होती।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना दी।
पहले प्यार की सभी यादें ताज़ा रहती हैं
ReplyDeletesabung ayam filipina s1288 sabung ayam
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