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नव वर्ष

नव वर्ष की नव उड़ान
पाखी नभ तक उड़ दौड़ा
उगते सूरज संग होड़ लगी है
नव युग के आव्हान का मौका ।
दोनों कर्म मर्म योद्धा है
केसरिया ध्वज सा फहर रहा
सिंदूरी आकाश हो गया
मानो कुमकुम बिखर रहा ।
ऊंचा मस्तक स्वभाल लिए है
शिखर महंत से खड़े हुए है
सदा मौन प्रार्थना सम्मलित
नव वर्ष सदा शुभ है शुभ है ।

डा इन्दिरा ✍️

Comments

  1. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
    अवसर के अनुरूप सुंदर सृजन कर्म का संदेश देती ।
    शुभ दिवस।

    ReplyDelete
  2. नववर्ष की शुभकामनाएं
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  3. नववर्ष की शुभकामनाएं
    शुभकामनाओ से पूर्णसुन्दर रचना

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर ...
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete

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