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वीर बहुटी ✊वीरांगना अवंतिका बाई

वीरांगना अवंतिका बाई लोधी
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख सूत्रधार !
क्रमशः
14
ऐसा कानून बनाया जालिम  ने
नाम " कोर्ट ऑफ़ वर्ड्स " रखा
इसके अंतर्गत रामगढ को
हथियाने का षडयंत्र रचा !
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तहसीलदार रखा अंग्रेजों ने
रामगढ को आधीन किया
पेंशन मुकर्रर करदी एक
रानी से ना सहा गया !
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पर रानी ने शांत भाव रख
अपमान का घूंट पी डाला
अनुकूल समय का इंतजार
करने लगी चतुर बाला !
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सन 1857 में जब
क्रांति का था ज्वार उठा
रानी के कानों तक भी
निनाद उसका जा पहुंचा !
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फिर क्या था अवंतिका रानी ने
एक ऐसा खत तैयार किया
उसके साथ चूडियाँ रख कर
जागीरौ मैं भिजवाया !
19
खत मैं अंगार शब्द लिखे थे
जो छाती को दग्ध करें
हर देशभक्त के मन मैं
अग्नि प्रज्वलित कर देवे !
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लिखा "देश रक्षा के लिये कमर कसो
या चूड़ी पहन के घर बैठो
धर्म ईमान की सौगंध लगे
जो खत की खबर बैरी को दो " !
21
कई जागीरदार उठ खड़े हुए
जो रानी का साहस जानते थे
साथ मिल गये रानी के
रानी का शौर्य पहचानते थे !
22
क्रांति बीज बोये रानी ने
सभा - और महा सभायें की
कानों कान खबर ना किसी को
गुप चुप क्रांति की तैयारी की !
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पर हाय दुर्भाग्य  भारत का
विश्वासघाती  सदा साथ रहा
हर क्रांति असफल होने का
यही एक कारण सा रहा !
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रीवा नरेश नपुंसक निकले
अंग्रजों से जाय मिले
रानी का साथ छोड़ा अधम मैं
विश्वास घात वो कर बैठे
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विश्वासघाती लोगों के कारण
अंग्रेजों को भनक लगी
रानी के प्रमुख सहयोगियों को
अंग्रेजों ने फाँसी देदी !
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इससे क्रोधित हो रानी ने
तहसीलदार को मार भगाया
मध्य भारत क्रांति का उसने
इस तरह से बीड़ा उठाया !
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अब तो रानी अवंतिका
अंग्रेजों को किरकिरी लगी
मध्य भारत की ज्वाल क्रांति
रानी अवंतिका के नाम रही !
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रानी के विद्रोह के कारण
मण्डला कमिशनर झल्लाया
तुरंत हाजिर होने का
फरमान रानी को भिजवाया !
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कब डरने वाली थी सिंहनी
युद्ध करने का सोच लिया
किला बनाया सुदृढ़ मजबूत
सेना का आव्हान किया !
30
एक एक क्रांतिप्रिय  नेता
रानी से आकर जुड़ते थे
अंग्रेज नहीं भांप पाये
रानी के क्या मनवंतर थे !
30
रानी ने हमला बोल दिया
सेना लेकर चढ़ दौड़ी
घूंघरी .रामनगर .बिछिया से
अंग्रेजो को दूर भगा मानी ! 
31
फिर मण्डला पर किया आक्रमण
यहाँ  मुठभेड़ हुई भारी
अंग्रजों को धूल चटाई
उनका नुकसान हुआ भारी !
32
अंग्रेज तिलमिलाए भड़क गये
पहले से ही खफा खफा से थे
कोढ़ मैं खाज रानी अवंतिका के
युद्ध कौशल समझ ना आते थे 
33
छोटी सी सेना रानी की
अंगेजों की बड़ी विशाल
फिर भी मात देती थी रानी
अंग्रेजों का चले ना दाव  ! 
34
भाँप गई थी रानी भी अब
यहाँ से प्रस्थान उचित होगा
कूच किया रानी ने वहाँ से
देवगढ़ पहाडियों में डाला डेरा !
35
पर अंग्रेज कहाँ मानते
पीछा ना छोड़ा रानी का
वहाँ भी पहुंच गये नराधम
चारों तरफ डाला घेरा !
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इस तरह  घेर कर रानी को
जोर से ये ऐलान  किया
आत्म समर्पण कर दो नहीं तो
भुन जायेगी तेरी सेना !
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आत्मसमर्पण नहीं युद्ध
रानी कह हुन्कारी थी
स्वतंत्र रहूंगी या कट मरुगी
ऐसी मन मैं ठानी थी !
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घमासान सा युद्ध हुआ
गोली , खंजर सब चलते थे
तलवार चलाती थी रानी
अरि पलक झपकते मरते थे !
39
इतने मैं एक गोली ने
आ रानी के हाथ को चूम लिया
छिटक गई तलवार हाथ से
रानी का बाँया हाथ झूल गया ! 
40
समझ गई रानी उस पल मैं
तनि भी देर नहीं कीनी
अंगरक्षक से कटार  छीन
अपनी छाती मैं पेवस्त कीनी !
41
वीर अवंतिका मरी नहीं
शहीद हो गई उस ही पल
अंग्रेज सहमे देख रहे थे
रानी को समझना था दुष्कर !
42 
इस तरह वीर अवंतिका बाई ने
हँसते हँसते बलिदान दिया
क्रांति हवन मैं आहुति देकर
ज्वाला को और भड़का दिया !
43
देश भक्ति के लिये केवल
मन मैं पक्की लगन रखो
पिछडा वर्ग क्या करेगा इसमें
जब मन देश भक्ति में डूबा हो !
44
सिखा गई दर दिखा गई
मन में यदि कुछ ठानोगे
द्रढ विश्वास रखोगे उस पर
जो चाहोगे वो पा लोगे !
45
धन धन रानी अवंतिका बाई
धन धन उनका देश प्रेम
ज्वलंत प्रमाण बन कर निकली
स्वभिमान का अखण्ड तेज !

डा इन्दिरा ✍







Comments

  1. वाह सखी ..... सुन्दर रचना

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  2. पढ़ने और गुनने का आभार अमित जी

    ReplyDelete

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