कर्म
मनु ...
कर्मठता जीवन का गहना
कर्म जीवन आधार
कर्म बिना मेरे मनुज
ये जीवन है बेकार !
अकड़ खड़े बांस को देखो
करनी कैसे नरम बना देती
जीवन का ये सत्य उजागर
बांस टोकरी भी करती !
नरम रहे तो काम आओगे
चाहे जैसे भी जग में
कड़क बांस टूट ही जाता
रहता नहीं किसी ढंग मैं !
नरम बांस की टोकरी
दे रही गुरु ज्ञान
सूखे की बस यही सजा
जाते है शमशान !
डा इन्दिरा ✍
🙏आभार bro सुप्रभात
ReplyDeleteकर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
ReplyDeleteमा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥🙏
बहुत खूब कर्म ही जीवन है सुंदर।
🙏आभार मीता
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ मई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सूखे की बस यही सजा
ReplyDeleteजाते है शमशान !-------सृष्टि का सच!
सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर ज्ञानवर्धक रचना
ReplyDeleteकरम करो और हमेशा नरम रहो...
ReplyDeleteसुन्दर सीख देती रचना.....
वाह!!!
वाह लाजवाब सुंदर रचना
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