Skip to main content

अस्तित्व

अस्तित्व 🍃

अस्तित्व कहाँ तन का रहा
अब केवल परछाई है
हवस मिटाने वाले तन  मैं
बदनीयत की बादशाही है !

यहाँ वहाँ सिर्फ पाप व्याप्त है
अस्तित्व मैं रहना अभिशाप है
ऊज्वल्ता बनी स्वयं शाप है
मर्मान्तक पीड़ा का राज है !

तू इतना तो मैं क्या कम हूँ
तुझसे अधिक मैं अधम हूँ
छूत रोग सा अहम बना है
मैं ही मैं बस मैं ही मैं हूँ !

अस्तित्व का तो विलय हो गया
गंदे नाले का पर्याय हो गया
निष्कलंक अस्तित्व  कहाँ अब
उसका तो इंतकाल हो गया !

अफसोस हो रहा है मन को
खाली सा शब्द कोष हुआ
अस्तित्व के खातिर जीते मरते
अनमोल भाव वो गौण हुआ !

डा इन्दिरा ✍

Comments

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 30 अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. बहुत शानदार रचना।
    अस्तित्व को ढूंढ़ती ,सोचने को विवश करती।
    बेहद उम्दा भाव।

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन अभिव्यक्ति ! अस्तित्व पर लिखने का सोचते समय सवाल अपने ही अस्तित्व पर खड़ा हो जाता है !

    ReplyDelete
  4. मरते अस्तित्व की दिल दहलाती बेहतरीन अभिव्यक्ति
    उत्क्रष्ट रचना

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वीरांगना सूजा कँवर राजपुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई

वीर बहुटी वीरांगना सूजा कँवर राज पुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई ..✊ सन 1857 ----1902  काल जीवन पथ था सूजा कँवर  राज पुरोहित का ! मारवाड़ की ऐसी वीरांगना जिसने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्र...

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे सम्वत 1363(सन 1311) मंगल वार  वैशाख सुदी 5 को दहिया हीरा दे का पति जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के पारितोषिक  स्वरूप मिले ...

वीरांगना रानी द्रौपदी

वीरांगना रानी द्रौपदी धार क्षेत्र क्राँति की सूत्रधार .! रानी द्रौपदी निसंदेह ही एक प्रसिद्ध वीरांगना हुई है जिनके बारे मैं लोगों को बहुत कम जानकारी है ! छोटी से रियासत की ...