वीर बहुटी वीरांगना ईश्वरी कुमारी
( अवध की रानी लक्ष्मी बाई )
क्रमशः
16
हजरत महल और बिरदिस सौपौ
हमको तुमसे कोई उज्र नहीं
निर्भय होकर राज करो
या लड़ने हो जाओ खड़ी !
17
सुन ईश्वरी धधक उठी
अपनी तोहीन लगी भारी
बाला राव संग सेना लेकर
गोरों को रोकने निकल पड़ी !
18
भली भांति जानती थी रानी
उसके मुट्ठी भर ही सैनिक है
शत्रु बहूसंख्यक है बड़े भारी
पर सेनानी क्यूँ कब डरते है !
19
दूध मुहे बालक को अपने
पीठ पे कस कर बांध लिया
झांसी की रानी लगती थी
लो ईश्वरी बन के चली बला !
20
करी प्रतिज्ञा शरणागत जब तक
सही सलामत नहीं निकल जाते
अचरागढ़ क्या तुलसीपुर में
दुश्मन कदम ना धर पाते !
21
बेहद विषम मुकाबला था
रानी पर एक एक पल भारी
और फिरंगी बन के काल
रानी को निगलने की तय्यारी !
22
तभी संदेशा मिला रानी को
मेहमान सुरक्षित निकल गये
श्वास में श्वास भरी रानी ने
बस दिये कौल की लाज रहे !
23
अब अचानक रानी ने
अपना अलग पैंतरा बदला
धरती को अंतिम प्रणाम कर
कदम जरा पीछे रख्खा !
24
धरती को प्रणाम किया
और नन्हे कँवर को पुचकारा
वो भी मुल्क रहा था नटखट
उसमें थी वही रक्त धारा !
25
फिर ऐड लगाई घोड़े को
वो भी तो सरपट भाग लिया
दाग देह खुर की घाटियों में
समा गई वो वीर बाला !
26
दाग देन की घनी घाटियाँ
विद्रोहियों का सुरक्षित गढ़ थी
बागियों का अभयारण्य थी
मलेरिया होने का खतरा भी थी !
27
इस डर से अंग्रेज कभी
दाग देह घाटी नहीं जाते थे
क्रांति कारी बड़े आराम से
वहाँ शरण पा जाते थे !
28
इसके आगे क्या कहे कलम
रानी का पता नहीं चलता
नेपाल देश देहांत हुआ
सच है या कोई अफवाह !
29
पर निसंदेह ईश्वरी रानी में
उत्साह .शौर्य और दमखम था
नारी क्या अखण्ड ज्वाल थी
डरता फिरंगियों का मन था !
30
अंत समय तक पकड़ ना पाये
रानी ईश्वरी कुमारी को
अंग्रेज हाथ मलते रह गये
जीत ना पाये सुभट नारी को !
31
क्या कहे ऐसी वीरांगना को
सिर्फ 25 सावन देखे थे
वैधव्य सहा संग नन्हा बालक
पर तेवर वीरों जैसे थे !
32
ऐसे जियाले मरा नहीं करते
नाहक लोग सोचते है
अमरत्व भाव जनमते है
सदा वीर बहुटी कहलाते है !
शत शत नमन 🙏
डा इन्दिरा ✍
बहुत सुंदर 👌👌👌
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