वीर बहुटी रानी जवाहर बाई ..
सतीत्व की रक्षा और देश भक्ति की अद्भुत मिसाल
वीरांगना जवाहर बाई मेवाड के महाराणा संग्राम सिंह के विलासी और एक अयोग्य शासक राजकुमार विक्रमादित्य की पत्नी थी ! महाराणा के मरते ही राज्य की बागडोर पुत्र विक्रमादित्य के हाथ मैं आ गई पर वो अय्याशी में इतना डूब गये की पड़ोसी राज्य से युद्ध करने मैं असमर्थ रहे ! और पड़ोसी राज्य के दुश्मनों ने उनको हरा दिया!
दुश्मन सेना नगर में प्रवेश करने वाली थी ये खबर रानी जवाहर बाई तक पहुंची ...राजपूती रवायत के अनुसार तुरंत जौहर की तैयारियां होने लगी !
पर सशक्त और वीर रानी जवाहर बाई ने उन राजपूती नारियों को कहा ...........वीर क्षत्राणियों जौहर करके सिर्फ अपने सतीत्व की रक्षा करोगी तलवार उठाओ दुश्मन से लड़ते लड़ते देश रक्षा हित मरो और अमर हो जाओ !
जब मरना ही है तो वीरों की मौत मरो !
युद्ध मैं शत्रुओं का खून बहा कर रण गंगा में स्नान कर अपने जीवन को ही नहीं मृत्यु को भी सार्थक बना दो !
बस फिर क्या था रानी जवाहर बाई की ललकार सुन जौहर करने को उद्दत अनेक राजपूत ललनाये हाथों में तलवार थाम कर युद्ध के लिये खड़ी हो गई !
चित्तौड़ किले मैं जहां एक ओर जौहर यज्ञ की प्रचण्ड ज्वाला धधक रही थी तो दूसरी ओर एक अद्भुत देश भक्ति का दरिया उफान ले रहा था !
रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में घोड़ों पर सवार नंगी तलवार हाथ में लिये वीर वधुओं का ये दल शत्रु सेना पर कहर ढाने चल निकला ..जौहर के लिये तैय्यार हुई सूहागने रणचण्डी बन कर लड रही थी ! मानी सिन्दूर का मोल अपने रक्त से चुका रही थी !
इस तरह सतीत्व के साथ साथ देश रक्षा के लिये रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में क्षत्रिय वीरांगनाओं ने अद्भुत रण कौशल का प्रदर्शन किया ! और वीर गति को प्राप्त हुई !
नमन है इन वीरांगनाओं के अद्भुत रन कौशल और देश भक्ति की भावनाओं को !
1
इतिहास गवाह है कई बार
कायर को सिंहनी ब्याही गई
पर समय आने पर वही सिंहनी
रण चण्डी बन उठ खड़ी हुई !
2
महाराणा संग्राम का पुत्र
विक्रमादित्य कुबुध्दी विलासी था
अयोग्य शासन के चलते
दुश्मन उस पर चढ़ दौडा था !
3
कुशल नेत्रत्व नहीं था
कुछ सेना का बल भी कम था
अय्याश राजा के राज में
और भला क्या होना था !
4
हार गये सब सैनिक
युद्ध ना अधिक देर चला
अयोग्य शासक के बस मैं
हार जाने के अलावा था भी क्या
5
शत्रु सेना प्रवेश कर रही
मूल शहर के भीतर
रानी जवाहर को खबर मिली
डरी नहीं वो पल भर !
6
जौहर की तैयारियां करती
अन्य रानियों से बोली
सुनो ध्यान से जौहर से
सिर्फ सतीत्व की रक्षा होगी !
7
हर हाल में मरना ठान लिया तो
यूं व्यर्थ भस्म हो क्यों मरना
वीर सिंहनी बन कर लड़ना
देश हित मैं प्राण सभी तजना
8
जौहर की ज्वाला स्नान नहीं
रण गंगा मैं स्नान करो
एक एक शत्रु को मारो
तब जीवन का परित्राण करो !
9
रानी की ललकार सुनी तो
सारी ललनाये ठिठक गई
सब ने ली तलवार हाथ मैं
मानो नव दुर्गा सी प्रगट भई !
10
अद्भुत द्रश्य था महल का
अचरज हो रहा था भारी
एक ओर जौहर ज्वाला थी
दूजी और खड्ड लिये नारी !
11
रानी के नेत्रत्व भाव लिये
घोडे पर असवार हुई
हाथों मैं नंगी तलवार लिये थी
मानो रण चण्डी प्रगट हुई !
12
वीर सुहागन वधुओं का दल
नव दुर्गा जैसा लगता था
माथे पर था कुमकुम शोभित
हाथों मैं खड्ड खनकता था !
13
मरना तय है ये जान रही थी
रानी जवाहर अपने मन में
अरि मार कर के ही मरुगी
देश की माटी के हित में !
14
अकल्पनीय द्रश्य भारी था
हर नारी नव शृंगार किये
अश्व सवार निकली सब ऐसे
जैसे मृत्यु वरण के लिये चले !
15
आगे आगे रानी चलती थी
दूल्हे सा नेत्रत्व करें
पीछे बरात सी सजी नारियां
रह रह जय का उदघोष करें !
16
इस तरह जवाहर रानी ने
जौहर का अर्थ बदल डाला
व्यर्थ भस्म होने से बेहतर
लड कर मरना स्वीकार किया !
17
यधपि हार गई रानी
और वीर गति को प्राप्त हुई
अमर हो गई इस जग में
वीरांगना सा नाम करी !
18
सिखा गई दर दिखा गई
पति पुत्र सब एक जगह
खुद मैं गर क्षमता हो तो
जीने की है कई वजह !
नमन 🙏
डा. इन्दिरा ✍
नमन बैजोड़ राजपूतानियां को।
ReplyDeleteअति आभार मीता तुरंत प्रतिक्रिया ...मन हर्षित हुआ ..
Delete"हर हाल में मरना ठान लिया तो
ReplyDeleteयूं व्यर्थ भस्म हो क्यों मरना
वीर सिंहनी बन कर लड़ना
देश हित मैं प्राण सभी तजना "
वाह सादर नमन रानी जवाहर को
अद्भुत,प्रेरणा देती,रोचक,वीर रस लिए सुंदर गाथा