वीर बहुटी ..रानी जिंद कौर उर्फ
जिंदा रानी ..
क्रमशः
26
विदेश मैं दिलीप सिंह के
सर जॉन बडे सहायक थे
उनसे मदद मिली दिलीप को
माँ को लेने नेपाल गये !
27
पर हाय विडम्बना देखो विधि की
रानी जिंद नेत्र हीन हुई
देख ना पाई स्व पुत्र को
सिर्फ गले लग कर रो दी !
28
क्या समय रहा होगा वो
जब माँ पुत्र का मिलन हुआ होगा
वर्षों बाद मिली बेटे से
पर हाय नयन दे गये धोखा !
29
स्पर्श नेत्र से देखा होगा
नेत्र हीन उस रानी ने
वृद्ध हाथ काँप रहे होंगे
जब लगी पुत्र के सीने से !
30
दिलीप सिंह भी व्याकुल हो
माता से लिपट गये होंगे
बचपन के वो स्निग्ध भाव
फिर से याद आये होंगे !
31
मात पुत्र स्पर्श की भाषा
मन में समझ रहे होंगे
रानी के दोनों अंधे नेत्र
सजल हो बरस गये होंगे !
32
कैसा होगा अद्भुत द्रश्य
लिखते कलम भीगती है
उस समय दोनों पर क्या बीती होगी
क्या कलम मेरी लिख सकती है !
33
इंग्लेंड ले आये माँ को
जो टूट चुकी थी पूरी
पुत्र आस मैं जीती थी
जो आस हुई थी अब पूरी !
34
लाख जुल्म सह कर रानी ने
गर्दन नहीं झुकाई थी
विनती नहीं की थी कोई
ना मांगी कोई रिहाई थी !
35
जीवन के अंतिम पड़ाव में
एक सुख बरस गया था
पुत्र समीप था रानी के
चाहे मुख नहीं देखा था !
36
रात पुत्र ने थपकी दे
माता को सुला दिया था
माता ने भी लाड लड़ा कर
मानो अंतिम प्यार किया था !
37
सन 1863 एक अगस्त की
सुबह बड़ी कड़वी थी
सुभट वीरनी उठी नहीं
अंतिम निद्रा में लेटी थी !
38
हाहा कार मच गया घर में
रानी माँ क्यों नहीं उठती थी
पुत्र जगाता था माँ को
पर कहाँ आवाज वो सुनती थी !
39
दिलीप सिंह माँ का संस्कार
पंजाब मैं करना चाहते थे
जिस मातृ भूमि के लिये उन्होनें
अपने प्राण गंवाये थे !
40
पर नहीं मिली स्वीकृति दिलीप को
रानी को पंजाब ले जाने की
जाने क्या डर था किसको
मृत रानी अब क्या कर देगी !
41
मुम्बई लाये पार्थिव शरीर को
गोदावरी के पावन तट पर
अंतिम संस्कार किया रानी का
देह पंच तत्व मिली जल कर !
42
निर्मल से गोदावरी तट पर
शुभ्र स्मारक बना हुआ
याद दिलाता जिंद कौर के
आज भी जिंदा होने का !
43
इस तरह नव यौवना ने
देश हित जीवन वार दिया
दंश सहे वर्षों तन मन पर
पर झुकना ना स्वीकार किया !
44
जिंदा रानी और माँ जैसे
पद नाम मिले उसको हरदम
ऐसे लोग अमर होते है
प्रेरित करते है वर्षों तक !
45
नमन तुम्हें हे रानी जिंदा
नमन तुम्हें हे रानी माँ
नमन धरा पंजाब सिंध की
नमन नमन हे वीरांगना !
डा इन्दिरा ✍
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