वीर बहुटी ..रानी जिंद कौर उर्फ 
जिंदा रानी ..
क्रमशः 
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विदेश मैं दिलीप सिंह के 
सर जॉन बडे सहायक थे 
उनसे मदद मिली दिलीप को 
माँ को लेने नेपाल गये ! 
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पर हाय विडम्बना देखो विधि की 
रानी जिंद नेत्र हीन हुई 
देख ना पाई स्व पुत्र को 
सिर्फ गले लग कर रो दी ! 
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क्या समय रहा होगा वो 
जब माँ पुत्र का मिलन हुआ होगा 
वर्षों बाद मिली बेटे से 
पर हाय नयन दे गये धोखा ! 
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स्पर्श नेत्र से देखा होगा 
नेत्र हीन उस रानी ने 
वृद्ध हाथ काँप रहे होंगे 
जब लगी पुत्र के सीने से ! 
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दिलीप सिंह भी व्याकुल हो 
माता से लिपट गये होंगे 
बचपन के वो स्निग्ध भाव 
फिर से याद आये होंगे ! 
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मात पुत्र स्पर्श की भाषा 
मन में समझ रहे होंगे 
रानी के दोनों अंधे नेत्र 
सजल हो बरस गये होंगे ! 
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कैसा होगा अद्भुत द्रश्य 
लिखते कलम भीगती है 
उस समय दोनों पर क्या बीती होगी 
क्या कलम मेरी लिख सकती है ! 
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इंग्लेंड ले आये माँ को 
जो टूट चुकी थी पूरी 
पुत्र आस मैं जीती थी 
जो आस हुई थी अब पूरी ! 
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लाख जुल्म सह कर रानी ने 
गर्दन नहीं झुकाई थी 
विनती नहीं की थी कोई 
ना मांगी कोई रिहाई थी ! 
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जीवन के अंतिम पड़ाव में 
एक सुख बरस गया था 
पुत्र समीप था रानी के 
चाहे मुख नहीं देखा था  ! 
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रात पुत्र ने थपकी दे 
माता को सुला दिया था 
माता ने भी लाड लड़ा कर 
मानो अंतिम प्यार किया था ! 
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सन 1863 एक अगस्त की 
सुबह बड़ी कड़वी थी 
सुभट वीरनी उठी नहीं 
अंतिम निद्रा में लेटी थी ! 
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हाहा कार मच गया  घर में 
रानी माँ क्यों नहीं उठती थी 
पुत्र जगाता था माँ को 
पर कहाँ आवाज वो सुनती थी ! 
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दिलीप सिंह माँ का संस्कार 
पंजाब मैं करना चाहते थे 
जिस मातृ भूमि के लिये उन्होनें 
अपने प्राण गंवाये थे ! 
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पर नहीं मिली स्वीकृति दिलीप को 
रानी को पंजाब ले जाने  की 
जाने क्या डर था किसको 
मृत रानी अब क्या कर देगी ! 
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मुम्बई लाये पार्थिव शरीर को 
गोदावरी के पावन तट पर 
अंतिम संस्कार किया रानी का
 देह पंच तत्व मिली जल कर ! 
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निर्मल से गोदावरी तट पर 
शुभ्र स्मारक बना  हुआ 
याद दिलाता जिंद कौर के 
आज भी जिंदा होने का ! 
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इस तरह नव यौवना ने 
देश हित जीवन वार दिया 
दंश सहे  वर्षों तन  मन पर 
पर झुकना ना स्वीकार किया ! 
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जिंदा रानी और माँ जैसे 
पद नाम मिले  उसको हरदम 
ऐसे लोग अमर होते है 
प्रेरित करते है वर्षों तक ! 
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नमन तुम्हें हे रानी जिंदा 
नमन तुम्हें हे रानी माँ 
नमन धरा पंजाब सिंध की 
नमन नमन हे वीरांगना ! 
डा इन्दिरा  ✍
 
  
 
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