ज्वाला ..🌋
रोशनाई से बहुत लिख लिया
अब अग्नि से लिखती हूँ
जलती ज्वाला से भाव जगा दूँ
सोये अल्फाज टोकती हूँ !
बूँद बूँद बहे जो लावा
ज्वाला मुखी बन जायेगा
विस्फोट बन यही एक दिन
महाप्रलय ले आयेगा !
शब्दों को यूं व्यर्थ ना समझो
महा प्रलय मचा देंगे
आसमां में उड़ने वालों को
जमी की धूल चटा देंगे !
डा इन्दिरा गुप्ता .✍
स्व रचित
सर्व अधिकार सुरक्षित !
बहुत सुंदर रचना 👌
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteवीर रस की हूंकार भरती रचना मीता।
ReplyDeleteमेरा लेखन का प्रिय विषय मीता
Deleteवाह!!! बहुत खूब.... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी सराहना मेरा उत्साह
Deleteसच है शब्द विप्लव बन के आते हैं ...
ReplyDeleteप्रेम लिखने वाले आग भी लिख सकते हैं ... गहरी रचना है ...