वीर बहुटी वीरांगना गाईदिनल्यू ..✊
रानी गाईदिनल्यू का जन्म 26 जनवरी 1915 को मणिपुर के तमेइँगलोंग जिले के तौसेस उपखण्ड के लोँग्काओ गाँव में हुआ था ! अपने माता पिता की 8 संतानों में से वो 5 वे नम्बर की संतान थी ! उनका परिवार शासक वर्ग से था ! आस पास स्कूल ना होने की वजह से उनकी औपचारिक शिक्षा नहीं हो पाई थी !
वो अपने चचेरे भाई जादौनाग की विचारधारा और सिदाँतो से बहुत प्रभावित थी ! फलस्वरूप उनकी अंग्रेजों का विरोध करने वाली सेना में शामिल हो गई ! शामिल होने के मात्र 3 वर्ष बाद ही वो उस छापा मार सेना की सरदार बन गई इसी से उनकी वीरता और बुद्धिमता का पता चलता है ! तब वह मात्र 14 वर्ष की ही थी !
सन 1931 मैं जादौनाग गीरीफ्तार कर लिये गये और उन्हें फांसी देदी गई ! 14 वर्षीय रानी डरी नहीं ना दल को बिखरने दिया वो अपने भाई द्वारा स्थापित दल की आध्यत्मिक और राजनीतिक उतराधिकारी बनी ! उसके बाद उन्होनें अंग्रेजों का खुल कर विरोध किया लोगों को कर ना देने के लिये भड़काया ! स्थानिय लोगों ने उनका खूब समर्थन किया और दल को चंदा भी खूब दिया !
सरकार पहले से ही उनसे चिढ़ती थी अब तो उनके पीछे ही पड गई !
पर वो नव यौवना अपनी चतुराई और दूरदर्शिता से असम नागालैंड .मणिपुर आदि के गांवों में सिंहनी सी घूमती रही और अंग्रेजों की खिलाफत का बिगुल बजाती रही ! आखिर उनसे परेशां होकर असम गवर्नर ने सेनीको की दो गारद उनके पीछे लगा दी और उनको पकड़ वाने वाले को इनाम की घोषण करवा दी !
अंत मैं 17 अक्टूबर 1932 को रानी को उनके समर्थकों सहित गीरीफ्तार कर लिया गया साथियों को फांसी देदी गई रानी पर कम उम्र होने के कारण फांसी नहीं दी गई ! उन्हें इम्फाल ले गये उन पर वहाँ 10 माह तक मुकदमा चला अंत में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई ! नन्ही सी 17 वर्ष की किशोर बालिका डरी नहीं झुकी नहीं अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की ! शांत मन से सजा सुनी और मुस्कुरा कर आजीवन कारावास को चल दी ! अंग्रेजी अफसर उसकी हँसी से तिलमिला कर रह गये वो उसे परेशान और गिडगिडाते हुए देखना चाहते थे ! धन्य है वो बाला और उसकी जननी !
सन 1933 से 1947 तक रानी को अंग्रेजों ने बार बार जेल बदल बदल कर रखा एक जगह रहने से कहीं वो फिर कोई दल ना बना ले ! रानी को बार बार बदल बदल कर शिलोँग .असम .गौहाटी .नागालैण्ड अलग अलग राज्यों की जेल में उन्हें रखा गया !
1946 में जब अंतरिम सरकार बनी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री नेहरू जी के आदेश पर उनको रिहा किया गया ! जब की कुछ साल पहले जब अंतरिम सरकार नहीं बनी थी नेहरू जी रानी से मिलने जेल गये और उनकी रिहाई की सिफारिश की पर अंग्रेज सरकार ने नहीं माना !
रानी गाईदिनल्यू को नेहरू जी के निर्देश पर तुरा जेल से रिहा किया गया ! आश्चर्य की बात अपनी रिहाई से पहले लगभग 14 वर्ष उन्होनें विभिन्न जेलों में काटे 16 वर्ष की किशोरी अब 30 वर्ष की वयस्क महिला बन चुकी थी पर तेवर अब भी वही धारदार थे !
रानी नागालैंड कौंसिल का विरोध करती थी जो नागालैंड को भारत से अलग करना चाहता था ! अतः उनकी आपसी लड़ाई और स्पर्धा के कारण रानी को 1960.में भूमिगत होना पड़ा ! भारत सरकार से समझौते के बाद रानी 1966 के तत्काल प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री से मिली और समर्पण कर दिया ! उनके साथियों को सरकार ने आर्म्ड फोर्स में भर्ती कर लिया ! रानी को .......
सन 1972 मैं ....स्वतंत्रता सेनानी का .ताम्र पत्र
सन 1992 में पद्म विभूषण अवार्ड
सन 1983 मैं विवेकानंद सेवा पुरुस्कार से सम्मनित किया गया !
सन 1991 मैं रानी अपने जन्म स्थान लोँग्काओ लौट गई जहाँ 7फरवरी 1978 में 78 वर्षीय रानी का निधन हो गया !
कहते है महज 3 वर्ष की उम्र से ही वो अपने चचेरे भाईकी छत्र छाया मैं पली बढ़ी और अँग्रेओ की नाक मैं दम कर दिया था और 14 वर्ष की छापामार दल की नेता बन गई 16 वर्ष की गीरीफ्तार हो गई और कारावास चली गई ..तो क्या थी वो बालिका एक अखण्ड ज्वाल जो होश संभालने से पहले ही धधक उठी और महज 16 वर्ष की आयु मैं ज्वालामुखी बन इतनी विस्फोटक हो गई की अंग्रेजों को उनको गीरीफ्तार करने के लिये उनके पीछे हाजारौ सिपाहियों की दो दो टुकडिया लगानी पड़ी और इनाम घोषित करना पड़ा !
धन्य है वो वीरांगना ✊✊✊✊
1
एक अद्भुत कथा सुनो
एक अद्भुत सी रानी की
मणिपुर में जन्म लिया
शैक्षणिक योग्यता शून्य रही !
2
आठ भाई बहनों मैं रानी
पांचवें नम्बर आती थी
गांवों मैं परवरिश हुई सो
पाठशाला वो गई नहीं !
3
जादौनाग चचेरा भाई
उससे बहुत प्रभावित थी
वो था वीर एक क्रांति कारी
उसकी लीक पे चलती थी !
4
सोच के मन हैरां होता है
16 वर्ष की तो गीरीफ्तार हुई
फिर क्या पैदा होते ही रानी
क्रांति कारी बन बैठी !
5
मात्र 3 वर्ष की उम्र रही
गाईदिनल्यू क्रांति कारी बनी
गुरु था भाई जादौनाग
सदा उसी के साथ रही !
6
हैराका आंदोलन जागा
गाईदिनल्यू उसमें जाती थी
अंग्रेज कोड़े बरसाते
वो नन्ही आग उगलती थी !
7
जादौनाग गीरीफ्तार हुए
गद्दी गाईदिनल्यू के हाथ रही
14 वर्ष की किशोर अवस्था
छापामार दल की नेता बनी !
8
सन 1931 में भाई
जादौनाग को फांसी हुई
उत्तराधिकारी बनी रानी
उनके राजनीति और आध्यात्म की !
9
हेराका पंथ गाईदिनल्यू ने संभाला
लोगों ने सम्मान दिया
रानी को सारे लोगों ने
देवी चेराचम का मान दिया !
10
रानी अब खुल कर खेली
अंग्रेजों का भारी विरोध किया
कर नहीं दो अंग्रेजों को
लोगों में ऐसा ऐलान किया !
11
जनता की भारी संख्या
रानी की बात मानती थी
चंदा देती रक्षा करती
रानी को देवी कहती थीं !
12
जनता के विश्वास के कारण
अंग्रेजों को बहुत खटकती थी
जरा सी लड़की 14 वर्ष की
अंग्रेजों से बहुत उलझती थी !
13
गीरीफ्तार करो रानी को
अंग्रेजों की मंशा थी
बिजली सी कौंधती रहती
हाथ नहीं वो आती थी !
14
चतुर सिंहनी चकमा देती
इधर उधर मंडराती थी
गांव गांव मैं घुमा करती
चकमा वो दे जाती थी !
15
असम गवर्नर परेशां था
दो गारद सिपाही मंगवाये
जिंदा मुर्दा पकड़ो रानी को
इनाम घोषित करवाये !
16
13 अक्टूबर 1832.को
आखिर रानी को गिरीफ्तार किया
संगी साथी कैद किये
उनको फांसी का हुक्म दिया !
17
रानी की उम्र सिर्फ 16 थी
मासूम किशोरी बाला थी
पर रणचण्डी बनी हुई थी
अंग्रेजों को खूब सताती थी !
18
दस माह इम्फाल मैं
रहा मुकदमा जारी
ताउम्र कारावास की
सजा सुनाई भारी !
19
गौहाटी .शिलोँग आईमेल
1933 से सन 1947
तुरा जेल में कैद रही
चौदह वर्षों तक रानी !
20
1947 मैं जब
अंतरिम सरकार बनी
नेहरू जी के कहने पर
रानी को रिहाई तभी मिली !
21
सोलह वर्ष की नव यौवना
गई जेल के अन्दर
तीस वर्ष की युवती निकली
कुछ थोड़ा और निखर कर !
22
हुई रिहाई पर रानी के
तेवर वो ही बांके थे
लोगों का उत्थान के खातिर
अब भी बाजू फड़कते थे !
23
नागालैंड भारत से अलग हो
नागा नेशनल कौंसिल चाहते थे !
रानी की सहमति नहीं थी
इस कारण उससे जलते थे !
24
जमींदोज हो गई रानी फिर
नागा नेशनल ना पकड़ पाई
1966 में हुआ समझौता
तब रानी बाहर आई !
25
प्रधान मंत्री शास्त्री से मिल कर
आत्म समर्पण कर दीना
साथियों को आर्म्ड पुलिस में
रानी ने भर्ती करवा दीना !
26
सन 1972 में ताम पत्र
स्वतंत्रता सैनानी का
1982 में पद्म विभूषण से
रानी को सम्मानित किया गया !
27
फिर सन 1883 मैं रानी को
विवेकानंद सेवक का प्रतिष्ठित
उत्तम कर्मठ सेवा के कारण
एक और पुरुस्कार मिला !
28
27 जनवरी 1915 को जन्मी
7 फरवरी 1993 मैं शांत हुई
78 साल की कठिन तपस्या
रानी को ताउम्र करनी पड़ी !
29
क्या कहे लेखनी है निशब्द
तीन वर्ष की बच्ची से
78 वर्ष की बनी वो वृद्धा
देश हित लड़ते लड़ते !
30
सिखा गई पथ दिखा गई
उम्र से कोई बात नहीं होती
मन में यदि उत्साह भरा हो
3 वर्ष की वीरांगना होती !
31
जिस उम्र में चलना नहीं आता
पानी को मम मम कहते थे
उस उम्र में गाईदिनल्यू के मन
क्रांतिकारी भाव पनपते थे !
32
धन्य वो जननी धन्य धरा वो
धन्य है ऐसी देश भक्ति
घुटुनू चलने वाले पैरों की
अद्भुत देखी हमने शक्ति !
जय हिंद 🇮🇳
डा इन्दिरा .✍
स्व रचित
सर्व अधिकार सुरक्षित !
शत् शत् नमन देश की वीरांगना को बहुत बहुत धन्यवाद इंदिरा जी आपका वीरांगना रानी गाईदिनल्यू के बारे में जानकारी देने के लिए 🙏 सुंदर रचना
ReplyDeleteइन वीरांगनाओं का कर्ज है हम पर ...उनकी जीवनी लिख कर उसी से उरिण होने का प्रयास कर रही हूँ सखी
Deleteअतिशय आभारअमित bro आपकी प्रतिक्रिया लेखन प्रवाह को और उत्साह दे गई ..
ReplyDeleteबचपन से ही इन वीरांगनाओं की कथा कहानी स्कूल मैं नृत्य नाटिका देख और कर करके बड़ी हुई हूँ ...बाल्यकाल से ही ये वीरांगनाये मुझे बेहद भाती थी स्कूल का प्रोग्राम खत्म हुए महीनों हो जाते पर हमारी खुमारी ना उतरती हम सारा दिन उनके डायलॉग बोलते रहते ....
नहीं जानती थी उस प्रेम की परिणिति मेरे इस लेखन वीर बहुटी से होगी !
जब लिखती हूँ तो लगता है वो लोग स्वयं कलम पर बैठ आपनी जीवनी लिखवा रही है ...और हर लेखन के बाद एक अद्भुत सुकूं की अनुभूति होती है मानो कोई कर्ज था जिससे उरिण हो रही हूँ ....क्या और कैसा संयोग है नहीं जानती ..पर वीर बहुटी लिखने से जो सुकून मिलता है वो अवर्णिय है भाई अमित जी ...🙏
बहुत सटीक 👌👌👌
ReplyDeleteशब्द और भाव दोनों लाजवाब
इस देश की माटी ने हर युग मे हर प्रांत मे ऐसी ऐसी ललनाएँ पैदा की है कि सुनने वाला विस्मय से भर जाऐ ।
ReplyDeleteऔर उस पर खोज खोज कर आपका काव्य रूप मे उन्हें जनमानस तक पहुंचाना सच साधुवाद।
बहुत सुंदर काव्य कथा ।