आँखें ..👀
एक गजब की बात सुनो
इस जग की रीत बताये
आँख के अंधे नाम नयन सुख
क्या क्या गुण गिनवाये !
पल में तोला पल में माशा
दादुर सी कूद लगाये
बैठ हिंडोला दूर देश की
सैर खूब करि आये !
ना भय्या हम नाम ना लेंगे
पांच साल कू आये
हाथ जोड़ कर वोट मांगते
जीते पर लतियाये !
हमहूं नबीने आँख के अंधे
सूरदास हुई जाये
ठप्पा लगाते बिना बिचारे
मानो जीवे को कर्ज चुकाये !
बाद मैं भय्या चिल्ल पौ मचती
होती जूतम पैजारी
पीने को पानी पेट को रोटी
सब हो जाती भारी !
ओ मिट्टी के माधो सुनलो
सुन लो कान लगाय
अंधों को सरताज बनाया
अंधी पिसे कुत्ता खाय !
कह गये है ज्ञानी ध्यानी
कह गये दास कबीरा
गुरु चेला जब दोनों अंधे
बाकी कछु बचे ना !
का का कहे लेखनी मेरी
का का हम बतियाये
जो हो जाये सो ही कम है
अब मुरारी पार लगाये !
डा इन्दिरा .✍
25 .8 .2018
स्व रचित
बहुत उम्दा
ReplyDelete🙏
Deleteआभार लोकेश जी
वाह क्या बात है।
ReplyDeleteजाके गुरु अंधला चेला खरा निरंक
अंधा अंधे ठेलिये दोनो कूप पड़ंत।
वाह दो पंक्तियों मैं सार कह दिया लेखन का ! मीता आभार
Deleteवाह दो पंक्तियों मैं काव्य सार कह दिया मीता !
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteजर्रा नवाजी अभिलाषा जी
Deleteलाजवाब कृति
ReplyDeleteस्नेहिल आभार
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।