एहसास जुदा जुदा ..
आसमां खाली सा है
सितारे बात करते है
चाँदनी की दहलीज पर
क्या आज चाँद उतरा है !
खुदा बनना
आसन नहीं यारो
तराशे जाने का
दर्द सहना पड़ता है !
दिलों दिमाग की यारों
होती जंग निराली है
दोनों चलते जुदा जुदा
किस्मत की चाल निराली है
नफरतें शौक ने
मरने ना दिया
वरना इश्क तो कब से
कांधा दिये खड़ा था !
खामोशी कुछ कहती है
सुनने वाला कोई तो हो
जब भी सन्नाटा खटके
दर खोलने वाला कोई तो हो
बड़े नादाँ है ये आंसू
दिल की बातें बोल देते है !
अरमां बेचारे गुमसुम से
लब कब खोल पाते है !
डा इन्दिरा .✍
बेहतरीन रचना इंदिरा जी
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा सखी
ReplyDeleteआप जिस भी विषय को छुयें एहसास खुद ही सिमट आते हैं 🙏🙏🙏
वाह वाह बहुत जानदार अभिव्यक्ति अंदर तक उतरती ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।