जीवन एक संधान !
मन संतुलन राखिये
सुख दुख एक समान
हर्ष विषाद एक तराजू
खुद को वस्तु मान !
प्राणी जीवन एक संधान ........
हर पल हर क्षण तुल रहे
तुल रहे है बिन भाव
तोला माशा जिंदगी
नाप सके तो नाप !
प्राणी जीवन एक संधान .....
कदम जिंदगी मैं सदा
फूंक धरो ही जाय
बिना बिचारे जो करें
सम पाछे पछताय
प्राणी जीवन एक संधान .....
डा इन्दिरा .✍
स्व रचित
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