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काव्य / फेसबुक और वाट्सअप

काव्य /फेस बुक और वाट्सअप

श्रोता वक्ता हो गये
वक्ता है अब मौन
दादुर व्याख्याता हुए
कोयल को पूछे कौन !

कवि गोष्ठी ना कहो
चौपाल को भान कराय
ऐरा गैरा कवि बना
कविगण ही कवि अब नाय !

फेस बुक अब फेक है
नही दिमाग का काम
इत उत चोरी कर लिखे
फारवर्ड रस व्याप्त !

वाट्सअप बाजार मै
मची है भारी धूम
उल्टी सीढ़ी पंक्तियाँ
बूम कर रही खूब !

गुणीजन तो चुप चाप है
साधे  है सब मौन
स्वांग धरे है स्वागिया
काव्य हो रहा गौण !

डॉ इन्दिरा गुप्ता

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